Saturday 27 August 2016

रंग में रंग मिलता गया

आपके प्यार में खो गये
इश्क में रतजगे हो गये

दर्द भूले सभी खो गये
प्यार के काफिले हो गये

ठीक था होंठ चुप ही रहे
बात से जलजले हो गये

बात में बात जुड़ती गई
बात से फलसफ़े हो गये 

रंग में रंग मिलता गया
इश्क में सांवले हो गये

बात कुछ खास है प्यार में
खोट भी अब खरे हो गये

लोग कहते शराफ़त गई
हम बहुत मनचले हो गये
----- नीरु ' निरुपमा मिश्रा त्रिवेदी'

अभी राज़ अपना बताया नही है

अभी प्यार हमने जताया नही है
अभी हाल दिल का बताया नही है

बहुत ख्वाब देखा निगाहों से ओझल
अभी आँख में सब सजाया नही है

रुके जो नही है हमारी निशानी
अभी चाल अपनी दिखाया नही है

कई कर्ज़ बाकी अभी जिंदगी पर
सभी फर्ज़ हमने निभाया नही है

सुनों दिल कहीं कह गया क्या किसी से
अभी गीत हमने सुनाया नही है 

ज़रा थाम लूं मैं बहक ही न जाओ
अभी ज़ाम हमने पिलाया नही है

तराने बहुत दिल सुनाता कहानी
अभी राज़ अपना बताया नही है
------ नीरु ' निरुपमा मिश्रा त्रिवेदी '

Wednesday 24 August 2016

तू खुदा हो गया

देखते आपको इक नशा हो गया
प्यार दिल ने किया तू खुदा हो गया

आजकल रात से बात होने लगी
फिर सुबह का पता बावरा हो गया

हम कहें क्या इसी सोच में रह गये
प्यार की इक अदा सांवरा हो गया

इक हमारे नही हो सकेंगे वही
दिल हमारा किसी पर फिदा हो गया

बात कुछ खास हममें कहीं तो रही
दूर होते हुए सिलसिला हो गया

सामने आप हों तो खुशी मिल गई
दूर जाते हुए दिल अनमना हो गया

देखिये गौर से "नीरु"  तस्वीर में
दर्द देेेकर वही फिर दवा हो गया 

---- नीरु ( निरुपमा मिश्रा त्रिवेदी)

Sunday 14 August 2016

दवा दिल की पीर के

जो चल पड़ेंगे अंधेरों को चीर के
दवायें  बनेंगे वही  दिल की पीर के

हैं भूलनी पीड़ा तो सब प्रथायें सड़ी -गली 

अब बनेंगी जिंदगी की परिभाषायें नई -नई

होंगे नही  फकीर हम किसी लकीर के
जो चल -----
वही बनेंगे------

खुशी टूटे दिल की , मिली नज़र को रोशनी

गुमसुम खोयेगी  कब चार दिन की चाँदनी 

बनकर  ग़ज़ल-गीत रहना है नज़ीर  के
जो चल-------
वही बनेंगे------

हो जाये  कितना भी कद ये खजूर तो नही 

आँसू किसी आँख में हमें मंजूर तो नही 

छाया  भी मिले नही क्यों  राहगीर के 


जो चल पड़ेंगे अंधेरों को चीर के 
दवायें वही बनेंगे दिल की पीर के 
------- नीरु