मन के बोल पर
जब जिंदगी
गहरे भाव संजोती है,
विह्वल होकर लेखनी
कहीं कोई
संवेदना पिरोती है,
तुम भी आ जाना
इसी गुलशन में
खुशियों को सजाना
है मुझे,
अभी तो अपनेआप को
तुझमें
पाना है मुझे
Wednesday 23 March 2016
रंग दे बसंती चोला
भर दे
मन की पिचकारी
भारत माँ
दुलारी,
तीन रंग में
होती
होली,
विश्व गुरु
बनकर लहराये
तिरंगा - हिंदुस्तान
देश के लिए
तन मन धन
सब
हो जाये
कुर्बान
----- निरुपमा मिश्रा
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