मन के बोल पर
जब जिंदगी
गहरे भाव संजोती है,
विह्वल होकर लेखनी
कहीं कोई
संवेदना पिरोती है,
तुम भी आ जाना
इसी गुलशन में
खुशियों को सजाना
है मुझे,
अभी तो अपनेआप को
तुझमें
पाना है मुझे
Saturday 13 February 2016
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें
भावना सरल प्रीत की,करुणा, विवेक, ज्ञान
सृष्टि सुंदरता निखरे, जीवन हो आसान
--- निरुपमा मिश्रा
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