Tuesday 26 January 2016

गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें

फिर उजाले से हमें धोखा हुआ है क्यों भला
साँप जैसे कौन ये लिपटा हुआ है क्यों भला
गोद सूनी,माँग सूनी , बुझ गया रोशन दिया
चल रही सरहदों पर बेरहम ये हवा है क्यों भला
------ निरुपमा मिश्रा " नीरू"