Tuesday 3 November 2015

रूठ गये तो

रूठ जायेगा रब
तो भी
वजह होगी
कि बनाई दुनिया
उसी ने
संभालेगा वही
सब,
रूठ जायेगा
ज़माना तो
वजह होगी
कि
चाहिये दुनिया
को
अपने मतलब
के लोग
कभी तो
कहीं तो
जरूरत होगी
ज़माने को भी
मेरी,
मगर
मेरे अपने
तुम
हाँ तुम्ही
रूठ गये तो
जीने की वजह
क्या होगी
मालूम नहीं
क्योंकि
अपनों के संग
होने की कोई
वजह तो नही होती
रिश्तों के बीच
अपनेपन की चाह
ये विश्वास की डोरी
बाँधती हमें
बेवजह भी
लेकिन
जब कभी
तलाशते
साथ होने की
वजह
तो अक्सर
अपने- आप से
रूठ जाते हम
खुद-ब- खुद
बेवजह
-----नीरु ' निरुपमा मिश्रा त्रिवेदी'

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