Friday 30 October 2015

तुम्ही रहते हो हर पल सपनीली निगाहों में

तुम्ही रहते हर पल सपनीली निगाहों में
रहना साथ जीवन की पथरीली राहों में

कभी तो अक्स उभर आता 
कभी ओझल हो जाते हो ,
कभी सांसों के करीब

कभी बीते पल हो जाते हो 

तुम्ही तो बसते  हो मेरी कल्पनाओं में 

रहना साथ जीवन की पथरीली राहों में

तुम वही हूबहू जिसको
दिल मेरा मोहब्बत कहता
तुम्हारी आरजू में ही
दिल मेरा धड़कता रहता
तुम्ही तो हरदम मेरे प्यार की चाहों में
रहना साथ जीवन की पथरीली राहों में

मायूसियों में कभी मुझे
तुम मिटने नही देते
किसी भी ग़म में कभी
बेबस उलझनें नही देते 
जाने नही देते निराशा की पनाहों में 
रहना साथ जीवन की पथरीली  राहों में 

प्यार- भरोसा ही तो
सभी रिश्तों का सहारा है
सपनों से सजा हुआ
सुंदर संसार हमारा है 
डूबने पाये नही कश्ती कभी आहों में 
रहना साथ जीवन की पथरीली राहों में

चाँद की गवाही में अपने
प्यार की रोशनी होगी
महफिल में सितारों की
महकी- महकी चाँदनी होगी 
खुशबुओं के रंग बिखर जायेंगे राहों में
रहना साथ जीवन की पथरीली राहों में

तुम्हीं रहते हर पल सपनीली निगाहों में
रहना साथ जीवन की पथरीली राहों में
------ नीरु 'निरुपमा मिश्रा त्रिवेदी'

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