Saturday 15 August 2015

देश

देश के लिए भी तो मशविरा करिये
कुर्बान अपनी जिस्म-ओ-जां करिये
अंधेरा न हो रास्तों पर कभी भी
हो सके तो चिराग़ -सा जला करिये
---- निरुपमा मिश्रा " नीरू"

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