Saturday 27 June 2015

गहरा अंधेरा

आता है सभी के जीवन में
प्रेम,विश्वास, अपनेपन का सवेरा,
लाता है जो अंधेरों में
आत्मविश्वास की रोशनी,
पर ये तभी तो होगा
जब मन के द्वार
बंद न हों हमारे,
वरना धुंधलका
घिरता ,बढ़ता जाता अंधेरा,
जो लिपटा रहता
है हमारे चारो तरफ
सर्प की तरह,
डसते रहते दिन के उजाले
गहरा जाता गहरी रातों का
अंधेरा
-नीरु 'निरुपमा मिश्रा त्रिवेदी'

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