Tuesday 3 March 2015

स्मृति - आँगन

बूँद - बूँद से प्रीति गागर- घन भरे
बेचैन हैं मन - भाव नित नयन झरे
पीड़ा के बादल ये घनेरे सखी
सूखे वो घाव क्यों स्मृति - आँगन हरे
---- निरुपमा मिश्रा " नीरू "

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