Wednesday 11 March 2015

ख्वाबों में बुला लेना मुझे

याद आये अगर ख्वाबों में बुला लेना मुझे
खुशबू जैसी हूँ साँसों में बसा लेना मुझे

रहे चाहत जब भी कुछ गुनगुनाने की
रहे हसरत जब भी सब भूल जाने की
गीत  के आँगन में सुरों से सजा लेना मुझे

तन्हा-तन्हा जब भी जिंदगानी लगे
महफिलें तुम्हें  जब भी बेगानी लगे
अपनी यादों के गुलशन से चुरा लेना मुझे

मन से मन के अपने कभी न दूरी हो
मेरा दिल,धड़कनें हर साँस तेरी हो
तन्हा छोड़े जमाना तो अपना लेना मुझे

उदास लम्हों में कहीं खुशी खो जाये
सहमी-सहमी कभी जिंदगी हो जाये
भेज कर अपना मन-डाकिया बुला लेना मुझे

प्यार दो-चार बातों की सौगात नही
दिन के साथ वहीं रहती कब रात नही
वफाओं-इरादों से तुम आजमा लेना मुझे
---- निरुपमा मिश्रा "नीरू "

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