Saturday 14 February 2015

अगर इजाजत हो

फिर नये ख्वाब सजा दूँ अगर इजाजत हो
तुम्हीं को तुमसे मिला दूँ अगर इजाजत हो
हम ठहर जायें अगर  वक्त ठहरता ही नही
कश्मकश  दिल की मिटा दूँ अगर इजाजत हो  
बात ऐसी भी क्या कि झिझकती है नज़र
हया की चिलमन उठा दूँ अगर इजाजत हो
थाम कर दिल अपना कब तलक रहियेगा
अब इसे अपना बना लूँ अगर इजाजत हो
रुको सितारों जरा रात अभी तो ठहरी है
प्यार की रस्म निभा दूँ अगर इजाजत हो
------ निरुपमा मिश्रा "नीरु "

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